chhattisgarh samay news

राजिम कुंभ कल्प में पहुंचने लगे साधु-संत: छह फिट लंबी जटा और दाढ़ी वाले बाबा को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

राजिम कुंभ कल्प में पहुंचने लगे साधु-संत: छह फिट लंबी जटा और दाढ़ी वाले बाबा को देखने उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

टोमन लाल सिन्हा 

राजिम/मगरलोड – 12 फरवरी से प्रारंभ हुए राजिम कुंभ कल्प मेला में 21 फरवरी से संत समागम प्रारंभ हो गया है। संत समागम में शामिल होने देश के विभिन्न क्षेत्रों से साधु-संत महात्मा पहुंचे हुए हैं। जहां संत होते है वहां सात्विक भाव और शांति होती है। उनके दर्शन से ही पुण्य फल की प्राप्ति होती है। संतो के अमृत वचनों से भटके हुए मन को नई दिशा मिलती है। जिनका आशीर्वाद पाने दूर-दूर से भक्त जन राजिम आ रहे है। त्रिवेणी संगम क्षेत्र में बने संत समागम स्थल पर श्रध्दालुओ की भीड़ देखी जा रही है। 

लोमष ऋषि आश्रम में एक ऐसे संत आए हैं, जिनका नाम है चंदन भारती। वे जुना अखाडा से है जिनके गुरू सुशील भारती जी है। महाराज जी की जटा और दाढ़ी 6 फीट की है। उन्होंने चर्चा के दौरान बताया कि वे प्रयागराज से सीधे राजिम कुंभ आए हैं। 2006 से प्रतिवर्ष राजिम कुंभ मेला में शामिल होते हैं। अपनी जटा के बारे में बताया की जो शिव जी के भक्त होते हैं, वे श्रद्धा भाव से जटा रखते है। साधु एक जगह स्थिर नही होते। वे साधना पूर्ण जीवन व्यतीत करते है। जंगल-झाडी में जहां मन लगता है, वहीं विश्राम कर लेते है। 

वे सुख-सुविधाओं को त्याग कर शिव भक्ति में लीन रहते है। शिव भक्तों में जटा के महत्व को बताते हुए कहा कि इन जटाओं को रखने के पीछे कई धार्मिक, वैज्ञानिक और अध्यात्मिक कारण होते है। कोई भी व्यक्ति सन्यास लेने के बाद ही साधु बनते है, जो की सांसारिक मोह-माया से दूर होते है। जप-तप और अनुष्ठान से श्रेष्ठ कार्य कर अपना जीवन ईश्वर की सेवा मे समर्पित करते है। साधु-संतो की जटाए उनके जीवन में त्याग-तपस्या पूर्ण जीवन शैली का प्रतीक है। उनकी जटाएं भगवान शिव के प्रति उनकी सच्ची अराधना को प्रदर्शित करते है।

Toman lal Sinha
Author: Toman lal Sinha

Editor In Chief

यह भी पढ़ें

टॉप स्टोरीज